सुणिया किशन रा समचार । ब्रँजवना खबर गिवि ,जावे गोपालो समन्दा पार ॥ नँगर मथुरा रो कानजी कर लिनो द्वारका रो वास ।घङी पलक नी आवङे आँवा वो साँवरिया थारे पास ॥ आठ लाख माँनखो वैगा नँगर द्वारिका वासी । गायाँ किशन री चारताजद बणी आ जात देवासी ॥ रन भन रा करिया वासा सँग धेनु धोली गाय । काठङिय चारो हरियौ घणो निर्मल बहवे नर्मदा माय ॥नर्मदा रा खादर पुटरा जटे बसतियाँ दी बसाय । धोली धेनु चारता बसगा काठङिय कच्छ-भुज माय॥कान्ह बजावे बाँसुरलिया करे द्वारिका रो राज । मुरधर जावो देवासियाँ रहिज्यो बटे विराज ॥ मुरधरा आ मोटी धिरियाणी गिया ने हिया मेँ राखे । सोनौ निपजे ज्यारेँ कालजे चोर डाकु निजरा नी झाँके ॥देवासी जाइज्यो मारू मुरधर गायाँ राखज्यो हजार ।मीठा सबसुँ बोलज्यो साख राखज्यो बजार ॥पेठ बाजाराँ राखज्योगायाँ चराइज्यो हरिय जोड । हिरदे शीव ने राखज्यो मत करज्यो चढिया री होड ॥तारा तो मनवाराँ करे चन्दो करे सत्कार ।मुरधर पुकारे देवासियाँ सुण सत रो चमत्कार ॥
मोकलपुर
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