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आज के लेख के शीर्षक से आपको पता चल गया होगा कि यह किस बारे में है। यह लेख ऊँटो तथा राईका समाज के अद्भुत संबंध के बारे में है। ऊंट की वजह से राईका समाज आज फिर से चर्चा में है ना सिर्फ भारत में अपितु पूरे विश्व में। कारण है ऊँटो पर लिखी गयी एक पुस्तक। अमेरिकी लेखिका कृष्टिना ऐडम्स द्वारा लिखी गई इस पुस्तक का नाम है:-
Camel Crazy: A Quest For Miracles In The Mysterious World Of Camels
जैसा कि नाम से ही विदित हो रहा है कि यह किताब ऊँटों के बारे में है सिर्फ इतना कहना काफी नहीं होगा क्योंकि यह एक ऐसी किताब है जो दुनिया के विभिन्न भागों में पशु पालन करने वाले लोगों (खासकर ऊंटों को पालने वाले लोगों), डॉक्टरों वैज्ञानिकों, परिवारों के वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक मेलजोल को पिरोए हुए हैं। इस किताब को विदेशों में काफी प्रशंसा मिल रही हैं। इस किताब के माध्यम से विद्यार्थियों और अध्यापकों सामान्य जीवन जीने वाले लोगों सभी को ऊँट के अकल्पनीय संसार के भेद को पहेली सुलझाने की तरह अनुभव करने का मौका मिल रहा है। भला पसंद आए भी क्यों नहीं?
पहले लेखिका क्रिस्टीना ऐडम्स के बारे में जानते हैं। लेखिका मूलतः अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी से हैं पैसे से लेखिका होने के साथ ये पत्रकार एवं एक अच्छी वक्ता भी हैं, जो अपने समाजोपयोगी कार्यों के लिए कई बार पुरस्कृत भी हो चुकी हैं। लेखिका को ऑटिज़्म और ऊंटनी के दूध से इसके इलाज में महारत हासिल है। क्रिस्टीना ऐडम्स दुनिया भर से परिवारों एवं वैज्ञानिकों से मिलती रहती हैं। इनके ये शानदार कार्य कई अंतरराष्ट्रीय अखबारों, पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हो चुके हैं। द वाशिंगटन पोस्ट, द लॉस एंजिल्स टाइम्स, गल्फ न्यूज़, खलीज टाइम्स, दुबई वन तथा ओपन डेमोक्रेसी जैसी बहू प्रतिष्ठित अखबारों में इनके लेख छप चुके हैं। इनकी नई किताब कैमल क्रेजी के बारे में हम आज बात करेंगे।
"ए रियल बॉय" नाम से इनकी एक पुस्तक काफी प्रसिद्ध रही थी जिसमें उन्होंने अपने बेटे के ऑटिज्म के इलाज एवं मां बेटे के प्यार के बारे में काफी अच्छा लिखा है। और दुनिया को खासकर अमेरिका को इसी किताब से पता चला कि ऑटिज्म के उपचार में ऊंटनी का दूध कितना उपयोगी है। लेखिका वीडियो सीरीज "ऑटिज्म एंड बियोंड" में भी सक्रिय भूमिका निभाती है। सैनडिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा "कॉन्फ्रेंस चॉइस अवार्ड" से पुरस्कृत क्रिस्टीना ऐडम्स को "सी एस यू एल बी हॉर्न प्राइज" एवं "मेरी रोबोट्स रिनहार्ट अवॉर्ड" से भी नवाजा गया है। क्रिस्टीना ऐडम्स पेंटागन के अखबार पेंटाग्राम के एडिटर के रूप में भी सेवा दे चुकी है। लेखिका जर्मनी, भारत, इंग्लैंड, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात एवं अमेरिका में लेखन, स्वास्थ्य, ऊँट एवं ऊँट पालन तथा ऑटिज़्म जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त कर चुकी हैं।
लेखिका के बारे में तो हमने काफी जानकारी प्राप्त कर ली, अब बात करते हैं पूरी दुनिया में धूम मचा रही इस पुस्तक के बारे में। पुस्तक का नाम:-
कैमल क्रेजी: ए क्वेस्ट फॉर मिरेकल्स इन द मिस्टीरियस वर्ल्ड ऑफ़ कैमल्स
जैसा कि आपको पता चल गया होगा कि यह किताब अंग्रेजी में लिखी हुई है तो आप कैसे पढ़ोगे अगर आपको अंग्रेजी नहीं आती लेकिन पढ़नी तो हैं क्योंकि इसमें राईका समाज है, ऊँट है और हमारे प्यारे ऊँट का दुनियाभर में फैला हुआ परिवार है।
तो आप एक ऐसे मित्र को ढूंढे जो आपकी मदद कर सकता है आसपास के स्कूल के अंग्रेजी के अध्यापक या कॉलेज में पढ़ने वाले अपने किसी परिचित की भी मदद ले सकते हैं।
कैमल क्रेजी ऊँट तथा ऊँट के उत्पादों के सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक महत्व की एक ऐसी कहानी है जो दुनिया बदलने की क्षमता रखती है। यह किताब ऊंटनी के दूध ऑटिज्म संस्कृतियां एवं हमारे रायका समाज जैसे ही कई अन्य जीवो पर दया करने वाले एवं उन्हें पालने वाले समुदायों के जीवन पर प्रकाश डालती हैं। लेखिका बेटे को जब ऊँटनी के दूध का सेवन कराती हैं तो काफी सकारात्मक परिणाम मिलने पर यह अकल्पनीय यात्रा शुरू होती है उस समय अमेरिका में ऊँटनी का दूध नहीं मिलता था। इजराइल से ऊँटनी का दूध लाने में यह डॉक्टर उनकी मदद करता है। क्रिस्टीना एडम ही वह पहली शख्स थी जिन्होंने उठने के दूध के औषधीय गुणों के बारे में डॉक्टरों को बताया था (अमेरिका में)।
ऊंटनी के दूध के सेवन के बाद एक रात में ही बहुत ज्यादा अच्छा प्रभाव देखकर वह यह जानने निकल पड़ी कि आखिर क्यों दुनिया में जगह-जगह ऊँटो को परिवार का सदस्य माना जाता हैं। जैसे ही ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों के बारे में पश्चिमी देशों में पता चला अचानक से बढ़ी इस नई मांग से ऊँटपालन को भी काफी सहारा मिला और अब ऊँट पालन दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले पशुपालन की सूची में दूसरे स्थान पर हैं। क्या आपको पता है पहले स्थान पर कौन है?
पहले स्थान पर हैं - बकरी पालन। यह भी काफी खुशी की बात है लेकिन हमारे देश में स्थिति ठीक उल्टी लग रही है।
क्रिस्टीना ऐडम्स जब पहली बार ऊँट का साक्षात दर्शन करती है तो बड़े दांतो व ऊँट की लंबाई की वजह से डर लगता है दूसरी तरफ ऊंट के मुलायम होटों, जिज्ञासु आंखों व सज्जनता से आकर्षित हो जाती हैं। अमेरिका के पेंसिलवेनिया राज्य में स्थित अमिश फार्म के ऊँटो से लेकर अरब के शाही ऊँट फार्म के ऊँटो से लेकर अफ्रीका महाद्वीप के सफेद कपड़ों में लिपटे रहने वाले तुआरेग नामक घुमंतु समुदाय के ऊँटो से लेकर भारत के रायका समाज (जिन्हें भगवान शिवजी ने ऊंटों की रखवाली के लिए ही सृजन किया था) के ऊँटो तक का यह सफर किसी रोमांचक पहेली से कम नहीं है।
ऐडम्स कहती हैं कि कैमल क्रेजी में सबसे बढ़िया चरित्र कोई है तो वह है खुद ऊँट। प्यारा दिखने वाला ऊँट शरारती होने के साथ-साथ बड़ा निपुण योद्धा तथा अपने रखवालों जैसे कि रायका समाज के लिए किसी प्रेरणा स्रोत से कम नहीं है। इस पुस्तक में ऊँटनी का दूध उपयोग करने वालों के लिए निर्देश, टिप्स, व्यंजन, ज्यादातर पूछे जाने वाले सवालों के जवाबों के साथ-साथ ऊँटनी के दूध को एक साथ ज्यादा मात्रा में लेने पर साइडइफेक्ट के बारे में भी बताया गया है। इसमें कई सुंदर रंगीन चित्र भी हैं।
यह पुस्तक आप अपने दोस्तों, अध्यापकों तथा परिवार के सदस्यों के साथ-साथ अपने चिकित्सकों को भी उपहार स्वरूप भेंट कर सकते हैं। जो भी यह किताब पढ़ रहा है या पढ़ेगा, वह इस किताब से प्यार कर बैठेगा।
अब बात करते हैं जाने-माने लेखकों, पब्लिशिंग हाउसों, तथा मीडिया द्वारा जो रिव्यू दिए गए हैं, इस किताब के लिए उनकी।
"एक उपयोगी किताब"
"अतुल्य आकर्षक"
"आकर्षक इतिहास, ऊँटनी के दूध के बारे में उपयोगी तथा अनुसंधान योग्य जानकारी"
"आकर्षक ऊँटपालन तथा ऊँटनी के दूध के औषधीय गुणों की गाथा"
"ऊंटनी के दूध से परिचय"
"पढ़ने में मजा देने वाली वीर रस से भरी तथा आकर्षक"
"अकल्पनीय अचरज"
हमारे पास तो सिर्फ 3 शब्द है इस किताब के लिए:-
"शानदार जबरदस्त जिंदाबाद"
जिन परिवारों में बच्चे ऑटिज्म से पीड़ित हैं उन परिवारों के लिए क्रिस्टीना ऐडम्स एक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्य करती हैं। ऊँटनी का दूध ऑटिज़्म से पीड़ितों को वापस सामान्य जीवन की तरफ लौटने में 100 फ़ीसदी कारगार है। "ऑटिज्म एंड बियोंड विद क्रिस्टिना ऐडम्स" नामक वीडियो श्रंखला में ऐडम्स ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर यानी ए एस डी पर विस्तृत ज्ञान से रूबरू कराती हैं। भारत में भी 10 मिलियन से ज्यादा बच्चे ऑटिज़्म से पीड़ित हैं। ऑटिज़्म एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो बच्चों में 3 साल की उम्र से पूरा दिखाई पड़ता है। इसमें बच्चों का तीन तरह का विकास धीमा पड़ जाता है या सामान्य बच्चों से कम हो जाता है। यह 3 पहलू है:-
मौखिक या संकेतिक संवाद
सामाजिक मेलजोल
कल्पना शक्ति
अगर 6 माह तक का बच्चा उलट-पुलट नहीं रहा है, मुस्कुरा नहीं रहा, उंगलियां नहीं पकड़ रहा है, आवाज या नए लोगों के छूने से समस्या हो रही है तो यह सभी ऑटिज्म के प्रारंभिक लक्षणों में से हैं। 2 साल तक का बच्चा अगर चल नहीं पा रहा है अपना नाम नहीं पहचान पा रहा है, आंख नहीं मिला पा रहा है, आत्मविश्वास की कमी, कम बोलना, छोटी बात बात पर अत्यधिक गुस्सा हो रहा है तो उन बच्चों को ऑटिज्म से राहत या उपचार की आवश्यकता हैं।
राजस्थान के एक विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय ऊँष्ट्र अनुसंधान केंद्र की एक रिसर्च यह बताती हैं जो जातियां ऊंट पालन, भेड़ पालन पर निर्भर थी उनमें मधुमेह के ना के बराबर मामले मिलते हैं जैसे कि रायका, गुर्जर, भाट आदि। इसी तरह से ऊँटनी का दूध ऑटिज़्म में कारगर है।
ऊँटनी का दूध मंदबुद्धि बच्चों के लिए ऑटिज्म में उपयोगी होने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। दिमागी बीमारियों तथा कुपोषित बच्चों के लिए एक संपूर्ण आहार हैं। ऊँटनी के दूध में जिंक, कॉपर, मैग्निशियम, कैलशियम तथा विटामिन ए, सी व ई भरपूर मात्रा में है। ऊँटनी का दूध कैंसर, खून व लिवर की सफाई, पेट की बीमारी, मधुमेह, टीबी से लड़ने में भी कारगर है। त्वचा में निखार, सौंदर्य प्रसाधन,खून बढ़ाने तथा गर्भवती महिलाओं को ताकत प्रदान करने में ऊँटनी का दूध उपयोगी है।
क्रिस्टीना ऐडम्स बताती हैं कि राईका समाज को ऊँटनी के दूध के प्राकृतिक औषधि के रूप में उपयोग होने के प्रमाण का कई सदियों से पता है। क्रिस्टीना ऐडम्स लिखती हैं कि राईका समाज आज ज्ञानी, दयालुपन तथा अतुलनीय मेहमान नवाजी के कारण संपूर्ण विश्व में एक अलग स्थान रखते हैं। ऐडम्स ने अपनी किताब में लगभग 30 पन्नों पर राईका समाज की जीवन पद्धति तथा ऊँटो से पारिवारिक संबंधों के बारे में लिखा है। ऐडम्स को राईका समाज की वेशभूषा खासकर रायका समाज की बहन बेटियों तथा माताओं के वस्त्रों के रंगों के चयन, दुपट्टे तथा आंखों को अच्छा लगने वाले लगते हैं। रायका समाज की नारी की कार्य करने की क्षमता, अद्भुत प्रबंध-क्षमता तथा खाना ऐडम्स को राइका समाज से जोड़ता है। ऐडम्स कहती हैं कि राइका समाज, प्रकृति, भगवान शिव तथा ऊँट के बीच कभी न टूटने वाला संबंध है।
जब वह पुष्कर मेले में रायका समाज के ऊँट पालकों से मिली तो ऐडम्स को जमीनी हकीकत से भी रूबरू होने का मौका मिला। बहुत कम या ना के बराबर आमदनी, दूध का नहीं बिकना जैसी कठिनाइयों के बावजूद भी राइका समाज अपने ऊंट के साथ खड़ा है। बारिश की कमी, चराने की समस्या में वृद्धि, सरकारों की अनदेखी, कम आमदनी, मशीनिकरण, महंगाई, रूढ़िवादिता, घटती उपयोगिता, प्रजनन की कमी, ऊँटो को बेचने पर रोक, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी तथा युवाओं द्वारा दुरी जैसी प्रमुख समस्याओं के कारण ऊँटो की संख्या में भारी कमी आ रही हैं तथा ऊंट पालकों के जीवन पर भी बुरा असर पड़ रहा हैं।
ऊँटो में दुधारू नस्लों में कच्छी, मारवाङी तथा बीकानेरी प्रमुख हैं, ऊंटों की दौड़ के लिए जैसलमेरी सर्वोत्तम नस्ल हैं तथा यातायात एवं मालपरिवहन के लिए बीकानेरी नस्ल प्रसिद्ध है।
सामान्यत रेगिस्तान तथा शुष्क प्रदेशों में पाए जाने वाले 36 प्रकार के औषधीय पौधों को चरने के कारण मात्र 70 दिन के प्रति दिन ऊँटनी के दूध के सेवन से ऑटिज्म से पूरी तरह से निजात मिल जाता है।
हमारे पर्यावरण मित्र ऊँट की उपयोगिता बढ़ाने के लिए समाज और सरकारों को मिलजुल कर काम करना चाहिए। पुराने जमाने में ऊँट का खेती में उपयोग होता था। उन्नत चरागाहों का विकास कर प्रजनन में विज्ञान का उपयोग जैसे कि टेस्ट ट्यूब तकनीक का उपयोग करना चाहिए। ऊँट को दुधारू पशु का दर्जा देकर, ऊंटनी के दूध तथा इसके दूध के अन्य उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए सभी सरकारों, समाज के लोगों को आगे आना ही पड़ेगा।
लेखिका क्रिस्टीना ऐडम्स ने अपनी इस किताब कैमल क्रेजी में जहां एक तरफ ऊँट का शानदार वर्णन किया है वहीं दूसरी तरफ जमीनी हकीकत से परिचित कराया है। इस किताब से नए अनुसंधान को एक सकारात्मक दिशा मिलेगी। रायका समाज से अपने लगाव, ऊँट पालन से असाध्य बीमारियों के इलाज तथा रेगिस्तान के जहाज ऊँट की इस चमत्कारिक पहली के कारण यह किताब अच्छा प्रदर्शन कर रही है। इस किताब को पढ़कर मेडिकल विज्ञान में नई खोजें होगी, सरकारों को योजना बनाने में एक नया दृष्टिकोण मिलेगा तथा हमारे समाज रायका समाज का इस धरती पर गुणगान होगा।
हमें लेखिका से यह उम्मीद है कि वह अपने नेक कार्य में सफलता के साथ आगामी भविष्य में ऐसा कार्य करती रहें।
जिसने यह लेख लिखा है (इस ब्लॉग पर) यानी कि मुझे तो बहुत प्रसन्नता के साथ गौरवान्वित ज्ञान प्राप्त हुआ है।
मुझे आपसे यह आशा है कि आप को भी यह लेख बहुत पसंद आया होगा और आप कैमल क्रेजी किताब को अवश्य पढ़ेंगे।
"हर हर महादेव"
"जय हो रायका समाज"
"जय जय राजस्थान"
"जय हिंद"
"वसुधैव कुटुंबकम"
धन्यवाद।
नोट:- प्रस्तुत लेख को तैयार करने में हमें अखबारों के साथ कुछ डिजिटल स्रोतों का भी उपयोग ठीक लगा। ये निम्न हैं-
2. Camel Crazy
3. Autism Live
पुनः धन्यवाद।।
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“Photos are copyrighted by Christina Adams; do not use without written permission.”
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