Sep 20, 2017

सरोज कुमारी देवासी बनी नागौर बीजेपी महिला मोर्चा की जिला महामंत्री

सरोज कुमारी देवासी नागौर बीजेपी महिला मोर्चा जिला महामंत्री

जय श्री राम देवासी सरोज कुमारी गणपतजी आजाणा निवासी सुर्यास मेडता को भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा नागौर की जिला महामंत्री नियुक्त होने पर बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं।


Share:

ओटाराम जी देवासी

ओटाराम जी देवासी Otaramji Dewasi
ओटाराम जी देवासी
जय पाबुजी री सा
आज हम देवासी समाज की इस वेबसाइट dewasisamaj.com पर देवासी समाज के महान सेवक, चामुण्डा माताजी के प्रखर भक्त्त, राजस्थान की राजनीति में अपना डंका बजाने वाले तथा देश के पहले गौपालन मंत्री आदरणीय श्रीमान ओटाराम जी देवासी की जीवनी प्रस्तुत करने जा रहे हैं।
ओटाराम जी की जीवनी से पहले पढ़े उनका पूरा बायोडाटा :-

नाम- ओटाराम जी देवासी
पिता- हेमाराम जी देवासी
जन्म:- 10 अक्टूबर 1964
पत्नी- अमिया देवी
संतान- 2 पुत्र तथा 2 पुत्रियाँ
ऊँचाई- 5 फुट 11 इंच
शैक्षणिक योग्यता- 10 वीं पास
पेशा- पुजारी, विधायक, मंत्री
वेबसाइट- otaramdevasi.in
मूल निवासी- गाँव- मुंडारा, तहसील- बाली (पाली)
टेलीफोन नं.- 02938-2451531
वर्तमान पता- 2/2 विधायक नगर, जयपुर पश्चिम
मोबाइल नंबर- 9829225095 /9414125095
ई-मेल- devasi.otaram@gmail.com

source:- Rajassembly.nic.in

ओटाराम जी देवासी का बचपन :- ओटाराम जी का जन्म 10 अक्टूबर 1964 को हुआ था।इनके माता-पिता अन्य देवासियों की तरह भेड़-पालन और ऊँट पालन का काम करते थे। इनका बचपन अन्य साधारण बच्चों की तरह ही बीता। ओटाराम जी का जन्म राजस्थान के पाली जिले में बाली तहसील के मुण्डारा गाँव में हुआ था। वे अपने गाँव के विद्यालय में शिक्षा ग्रहण के लिये जाते थे। उनकी शैक्षणिक योग्यता 10 वीं पास है।
राजस्थान पुलिस में चयन :- ओटाराम जी देवासी बचपन से ही मजबूत कद - काठी के थे। बचपन से ही उनकी रूचि पुलिस अफसर और भारतीय सैनिक बनने में थी। ओटाराम जी देवासी 10 वीं पास करके राजस्थान पुलिस में भर्ती हो गये। कुछ समय तक इन्होंने पुलिस में अपनी सेवाएँ दी।
बने चामुण्डा माता के भक्त्त :- राजस्थान पुलिस में सेवारत ओटाराम जी देवासी की तबियत खराब हो गयी। अपने बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण ओटाराम जी देवासी ने पुलिस की नौकरी छोड़ दी। रेबारी समुदाय सदियों से ही हिन्दू देवी - देवताओं के मानते आ रहा हैं और ओटाराम जी के परिवार वाले भी मानते थे। उनके परिवार वाले उनको गाँव के ही चामुण्डा माता के प्राचीन मंदिर में ले गये, जहाँ के पुजारी ओटाराम जी के नानाजी थे। चामुण्डा माताजी की कृपा तथा माताजी के प्रति रेबारी समुदाय की आस्था के कारण ओटाराम जी का स्वास्थ्य सुधरने लगा और जल्द ही वे स्वस्थ हो गये। चामुण्डा माताजी के इस चमत्कार से ओटाराम जी माताजी के परम भक्त बन गये और ओटाराम जी ने अपने जीवन को माताजी के चरणों में समर्पित करने की शपथ ली। इस प्रकार माताजी के आशीर्वाद से वो माताजी के भोपा बन गये।

भोपाजी ओटाराम जी देवासी Bhopaji Otaramji Dewasi
भोपाजी ओटाराम जी देवासी
 
राजनीती में प्रवेश :- चामुण्डा माताजी के आशीर्वाद से भोपाजी ओटाराम जी की कीर्ति चारों ओर तेजी से फैल गई। मुण्डारा गाँव के चामुण्डा माता के मंदिर पर हजारों लोग अपनी फरियाद लेकर आने लगे और माताजी के दरबार में पूर्ण आस्था के साथ धोक लगाते। माताजी के आशीर्वाद से ओटाराम जी सबकी दुःख - पीड़ा को दूर करने लगे और बाली तहसील में ओटाराम जी भोपोजी के नाम से प्रसिद्ध हुए। सर्वप्रथम राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की नजर ओटाराम जी पर पड़ी। भैरोसिंह जी शेखावत उस समय बाली विधानसभा क्षेत्र से BJP के प्रत्याशी थे। भैरोसिंह जी शेखावत को ओटाराम जी से भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष फालना (बाली) निवासी ओमजी माथुर ने मिलवाया था। ओटाराम जी देवासी ने गाँव गाँव दौरा करके रेबारी समाज को संगठित करके उनसे भैरोसिंह शेखावत को वोट देने की अपील की। इस चुनाव में समस्त रेबारी समाज ने भेरोसिंह शेखावत को वोट दिया और वे रिकॉर्ड वोटो से जीतकर मुख्यमंत्री बने। इसके बाद ओटाराम जी देवासी का कद और पहचान और भी बढ़ गई और वे पशिचमी राजस्थान रेबारी समाज के एक मजबूत मतों के रूप में उभरकर आयें। इसके बाद ओटाराम जी देवासी BJP में शामिल हो गये।
भेरोसिंहजी एवं ओटारामजी Bhero Singhji Shekhawat and Otaramji Dewasi
भेरोसिंहजी एवं ओटारामजी 
सर्वप्रथम केन्द्रीय मंत्री बनें :- भैरोसिंह शेखावत के प्रयासों से पशुपालक वर्ग व रेबारी समाज का नेतृत्व करने के कारण भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमण्डल में ओटाराम जी देवासी को दिल्ली बीज निगम का चैयरमैन बनाया।
राजस्थान की राजनीति में बनाई पहचान :- राष्ट्रीय राजनीति में पैठ जमाने के बाद सन 2007 में ओटाराम जी सम्पर्क वसुंधरा राजे से हुआ। ओटाराम जी देवासी की लोकप्रियता व रेबारी समाज पर उनकी मजबूत पकड़ के कारण वसुंधरा राजे ने सन 2008 के विधानसभा चुनाव में उन्हें सिरोही विधानसभा क्षेत्र से BJP का टिकट दिया। अपने पहले ही चुनाव में वे आसानी से जीत गये और राजस्थान की विधानसभा में प्रवेश किया। सिरोही विधानसभा क्षेत्र में ओटाराम जी द्वारा किये गए प्रशंसनीय कार्यों की बदौलत उन्हें फिर से टिकट मिला और 2013 के विधानसभा चुनाव में ओटाराम जी ने कांग्रेस के उम्मीदवार को 25000 वोटों से कड़ी शिकस्त दी। लगातार दूसरी बड़ी जीत के कारण ओटाराम जी को वसुंधरा सरकार में गोपालन मंत्री बनाया गया है।
देश के पहले गोपालन मंत्री :-  रेबारी समाज का इतिहास रहा है कि यह समाज सदियों से गौ माता की सेवा करता आया है। आज लगभग हर रेबारी के घर में गौ माता का निवास है। गोडवाड़ क्षेत्र के रेबारी समुदाय के एक परिवार के पास लगभग 1 हजार से 10 हजार गायें होती है और वे कड़ी मेहनत के साथ उनकी सेवा का लाभ प्राप्त करता है । राजस्थान में रेबारी समाज की बाहुल्यता है। राजस्थान में ये समुदाय रेबारी,रायका,राईका,देवासी, देसाई,भरवाड़,मालधारी,रज्जाड़ी के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस समुदाय का लगाव भेड़ों,बकरियों,ऊँटों और गायों की सेवा में है और यहीं इस समाज का पेशा है। भारत में लगातार बढ़ रही गौतस्करी,गौ-हत्या जे कारण व रेबारी समाज की भावनाओं को समझतें हुए राजस्थान की वर्तमान मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधियाँ ने राजस्थान को देश का पहला गौ कत्लखानें बंद करवाने वाला राज्य बनाया और पूरे देश के सामने एक आदर्श नमूना पेश करते हुए गौपालन के लिए अलग से मंत्रालय बनाया।य देश के किसी भी राज्य का पहला गौपालन मंत्रालय है और इसका दायित्व आदरणीय ओटाराम जी को सौंपा और भोपाजी देह के पहले गौपालन मंत्री बनें।
 ओटाराम जी के खिलाफ रची साजिश :-   ओटाराम जी देवासी चामुण्डा माताजी के इतने बड़े भक्त है कि वे मंत्री रहते हुए भी माताजी की सेवा नहीं छोड़ी। वे अपने व्यस्ततम जीवन से भी समय निकालकर नियमित माताजी को धोक लगाने आते हैं। ओटाराम जी देवासी को इस मन्दिर का पुजारी पड़ विरासत में मिला थी। इसके पहले उनके नानाजी इस मन्दिर के पुजारी थे। ओटाराम जी के पुजारी बनने के बाद चामुण्डा माताजी का एक ट्रस्ट बनाया गया और इस ट्रस्ट में नुन्दर गाँव के सभी लोगों को शामिल किया गया। ओटाराम जी की इस पहल को कुछ असामाजिक तत्व पचा नही पाये। वे पुरे मन्दिर और चामुण्डा माताजी की संपत्ति पर एकाधिकार जमाना चाहते थे और उन्होंने कुछ दलाल मीडिया को रिश्वत देकर अखबारों में झूठी खबर छपा डाली की "ओटाराम जी देवासी चामुण्डा माताजी के 100 करोड़ की संपत्ति को हड़पना चाहता हैं"।
साजिश Conspiracy
साजिश
लेकिन सच तो यह हैं कि ओटाराम जी ने माताजी मन्दिर का एक भी पैसा अपने निजी कार्यों में नही लगाया।ओटाराम जी दान के पैसों से भी हर वर्ष भंडारा करवाते थे। ओटाराम जी मन्दिर के पुजारी बनने के बाद मन्दिर में ईण्डा, भागवत कथाएँ जैसे की धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाया।
 रेबारी समाज ने दिया पूरा साथ :-  इस झूठी खबर के छपते ही रेबारी समाज में आक्रोश की लहर छा गई। पुरे प्रदेश भर के रेबारी समाज के लोग सड़कों पर उतर आये। उन्होनें सरकार से असामाजिक तत्वों के खिलाड़ी कड़ी कार्यवाई करने की चेतावनी दी। रेबारी समाज के लोगों ने हर तहसील व जिला स्तर पर संगठित होकर  प्रदर्शन करके राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन सौपें । इसके अलावा विदेशों में भी रह रहे हमारे देवासी समाज के प्रवासी भाई-बन्धुओं ने भी राजस्थान की मुख्यमंत्री को ज्ञापन ईमेल किये । पूरे रेबारी (देवासी, रायका, राईका, मालधारी) समाज के लोगों के आक्रोश व दबाव को देखकर वसुंधरा राजे ने ओटाराम जी पर लगे सभी आरोपों को ख़ारिज किया और ओटाराम जी को चामुण्डा माता जी का सच्चा भक्त बताया ।
समाज का समर्थन Support of Dewasi Samaj
समाज का समर्थन

ओटाराम जी को पूरा देवासी समाज दिल से चाहता हैं । समस्त रेबारी समाज ओटाराम जी को अपना नेता मानते हैं। ओटाराम जी भी रायका समाज के हर छोटे-बड़े आयोजन व कार्य का हिस्सा बनते हैं । वे रायका समाज में बालविवाह, नशाखोरी जैसी कुप्रथाओं को मिटाने के पक्षधर हैं। ओटाराम जी देवासी रायका समाज को शिक्षित बनाने व बालिका शिक्षा पर जोर देने की अपील करते हैं। ओटाराम जी देवासी का कहना हैं कि राजस्थान का प्रत्येक रायका, रैबारी, राईका, देवासी, रबारी सहित पूरा मालधारी समाज अगर संगठित होकर आंतरिक लड़ाई-झगड़ों तथा क्लेश से उबर जाए तो देवासी समाज विकास की पटरी पर बहुत ही तेजी से चलेगा। उन्होंने युवाओं को समाज की प्राचीन पहचान, संस्कृति, पहनावा, बोलचाल, भाईचारा, सेवाभाव तथा ईमानदारी जैसे गुणों को कायम रखने की बात की। ओटाराम जी देवासी आज स्वयं राजस्थान सरकार में मंत्री होते हुए भी आज रायका समाज के पहनावे को ही पहन रहे हैं और गर्व महसूस कर रहे हैं। भोपाजी ने रायका समाज के विकास के लिए युवाओं को हर समय तत्पर रहने का आह्वान किया हैं।

इन्ही शब्दों के साथ हम आप सभी देवासी, रायका, राईका, रेबारी, मालधारी बन्धुओं को देवासी समाज की अपनी वेबसाइट dewasisamaj.com पर आने के लिए धन्यवाद देते हैं।
हमें उम्मीद हैं कि देवासी समाज के अनमोल रत्न ओटाराम जी देवासी की जीवनी पसंद आयी होगी। आप सभी समाज बन्धुओं से निवेदन हैं कि ओटाराम जी देवासी की इस जीवन कथा को सर्वत्र फैला दे ताकि पूरा राजस्थान और देश जान सके कि ओटाराम जी देवासी ने कितने संघर्ष करते हुए आज मन्त्री पद हासिल किया है, इसके लिए आप सभी समाज बंधू नीचे दिये गए share के ऑप्शन से फेसबुक और व्हाट्सअप पर शेयर करे ।

हम फिर से आप सभी के समक्ष हमारे देवासी, रायका, रेबारी तथा मालधारी समाज के समाजसेवकों, संतों, महापुरुषों और नेताओं की जीवनी, रेबारी समाज की खबरें, देवासी समाज के इतिहास, रायका समाज के मंदिर-धर्मधालाओं, वीर पाबुजी महाराज इत्यादि से सम्बंधित खबरें लेकर हाजिर होंगे ।

आप इसी तरह अपना समर्थन देते रहे और हर रोज इस वेबसाइट को देखते रहे ताकि हमारा प्यारा देवासी समाज भी इस आधुनिक डिजिटल युग में पीछे नही रहे। आप सभी समाजबंधु फेसबुक और व्हाट्सएप पर ज्यादा से ज्यादा इस वेबसाइट को शेयर करों ताकि दूसरे समाज के लोगों को भी लगें कि यह रेबारी समाज भी अब पीछे नही रहा।
सदियों से अशिक्षा और पिछड़ापन में रहा यह राईका समाज भी अब जाग चूका हैं और संगठित होकर एक मजबूत देवासी समाज बनाने को आतुर हैं।

       धन्यवाद

देवासी-गान




Share:

देवासी समाज के 133 गोत्र

देवासी समाज के 133 गोत्र

(Subcastes of Rabari Raika Dewasi Samaj)
देवासी समाज के 133 गोत्र dewasi-samaj-133-subcastes-clans-tribes

  1. आल
  2. आग
  3. आमला
  4. आजाणा
  5. एण्डु आंडू, एनदा
  6. उमोट
  7. उलवा
  8. बारड
  9. बार
  10. बालास
  11. बोसतर
  12. बुरसला
  13. बागड
  14. भरू
  15. भरडोम
  16. भाडका
  17. भाराई
  18. भीम
  19. भुकिया
  20. भुंगर
  21. भुंभलिया
  22. भूकू ( भाँकू )
  23. भाँगरा
  24. चावड़ा
  25. चन्दुआ
  26. चैलाणा
  27. चौहान
  28. चौपडा
  29. दत
  30. देऊ
  31. डेडिया
  32. डेडर डोडर
  33. ढगल
  34. ढालोप
  35. धांदुआ
  36. धारूआ
  37. धंगु
  38. घांगल
  39. गोहित
  40. घाटिया
  41. घेघवा
  42. गलसर
  43. गहलोत
  44. गहलतर
  45. गुज़र
  46. गेहड
  47. हरबी
  48. हरावल
  49. हूण
  50. हुचील
  51. हरण
  52. जोटाणा
  53. जाद्वव
  54. झूआं ( झूसा )
  55. झाँगर
  56. जंज(झंद)
  57. जाडेजा
  58. जोधा
  59. झाला
  60. जाहेर
  61. जामंबड
  62. करमटा
  63. करगटा
  64. खरड
  65. कासेला
  66. कालर
  67. कलोतरा
  68. खामबला
  69. कटारिया
  70. खेर
  71. कोडियातर
  72. कोला
  73. करोड
  74. खेखा
  75. कूंकड
  76. कचछावाहे
  77. कलवा
  78. कासद
  79. खाटाणा
  80. लवतुंग
  81. लोडा
  82. लुणी
  83. लुलतरा
  84. मकवाणा
  85. मोटन
  86. मोरडाव
  87. मरीया
  88. मेह
  89. मरोड़
  90. नांगू
  91. नार
  92. परमार
  93. परिहार
  94. पेवाला
  95. पानकटा
  96. पुंशला
  97. परिवाल,पाल
  98. परार
  99. पावेसा
  100. फलडुंका
  101. पन्ना
  102. रोज़
  103. राठोड
  104. राडा
  105. राणुआ
  106. रगीया
  107. रोंटी
  108. सेपडा
  109. सांमबड
  110. सावधारिया,(साबदरा)
  111. शेंखा
  112. सिंगल
  113. सराधना
  114. सावलाना
  115. सुकल
  116. सिसोदिया
  117. सोढा
  118. तलतोड
  119. तवोणा
  120. वेराणा
  121. विरोड
  122. विसा
  123. वनुवा
  124. वाघेला
  125. वातमा
  126. रंजा
  127. धुला
  128. मोर
  129. ध्मबड
  130. दहिया
  131. सेवाल
  132. टमालिया
  133. मोरी
नोट:-
प्रस्तुत जानकारी http://ajmerjiladewasisamaaj.blogspot.in/2016/03/blog-post.html नामक blogsite ली गयी है

तो दोस्तों आपको ये पोस्ट केसी लगी ये आप हमे कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। इस पोस्ट में हमने बहुत ही सावधानी बरती हैं फिर भी कोई गलती हो गयी है तो क्षमा करे।

और जुड़े रहिये वेबसाइट से।।

DewasiSamaj.com- देवासी समाज-Dewasi Samaj photos videos articles and NEWS

{DewasiSamaj.com---देवासी समाज की अपनी वेबसाइट}

धन्यवाद।।

देवासी-गान

Share:

Sep 19, 2017

कृष्णपाल सिंह देवासी ने बढ़ाया समाज का मान

krishnapal-singh-dewasi-baytu-barmer-air-3rd-rsr-1st-rajasthan-high-court
Krishnapal Singh Dewasi Baytu

कृष्णपाल सिंह देवासी S/O श्री हिमथा राम जी देवासी ,बायतू (बाड़मेर) को राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर तृतीय(3rd) तथा राजस्थान प्रदेश स्तर पर प्रथम(1st) स्थान हासिल करने पर एवं राजस्थान उच्च न्यायालय में ENGLISH PA to HON'BLE JUSTICE -2nd Grade आशुलिपिक के पद पर Final चयन होने पर DewasiSamaj.com की ऒर से हार्दिक बधाई एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।


देवासी-गान


Share:

Sep 18, 2017

देवासी समाज के युवा एथलीट को बधाई

laxman-dewasi-national-atheletics-games-mp-gold-medalist
Laxman Dewasi

अशोक नगर (मध्य प्रदेश) में सम्पन हुई राष्ट्रीय एथेलेटिक्स खेलो में देवासी समाज के एक युवा खिलाड़ी लक्ष्मण देवासी ने भाग लिया और स्वर्ण पदक जीतकर देवासी समाज का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया। लक्ष्मण देवासी ने जोधपुर की टीम की और से खेलते हुए यह उपलब्धि हासिल की है। गौरतलब है कि जोधपुर के सभी 9 खिलाड़ियों ने स्वर्ण(Gold) पदक जीते है।
laxman-dewasi-national-atheletics-games-mp-gold-medalist

लक्ष्मण देवासी और उनकी पूरी टीम को dewasisamaj.com  की और से हार्दिक बधाई एवं हम उनके  उज्जवल भविष्य की कामना करते है।
लक्ष्मण देवासी की तरह ही और भी कई युवा अपनी प्रतिभा दिखा सकते है बस अवसर की तलाश है।
laxman-dewasi-national-atheletics-games-mp-gold-medalist


हम कामना करते है कि और भी युवा इसी तरह खेलो में आगे बढ़े और समाज का तथा देश का नाम रोशन करें।
 खेल सिर्फ क्रिकेट ही नहीं है, और भी बहुत सारे खेल हैं।
laxman-dewasi-national-atheletics-games-mp-gold-medalist

*laxman-dewasi-national-atheletics-games-mp-gold-medalist*

देवासी-गान

Share:

Sep 16, 2017

देवासी समाज की उत्पत्ति


रेबारी, राईका, देवासी, देसाई या गोपालक के नाम से जानी जाती यह जाति राजपूत जाति में से उतर कर आई है। ऐसा कई विद्वानो का मानना है। रेबारी को भारत में रायका, देसाई, देवासी, धनगर, पाल, हीरावंशी, कुरुकुरबा, कुरमा, कुरबरु, गडरिया, गाडरी, गडेरी, गद्दी, बधेल के नाम से भी जाने जाते है।
  यह जाति भोली भाली और श्रद्धालु होने से देवों का वास इनमें रहता है या देव के वंशज होने से इन्हें देवासी के नाम से भी जाना जाता है। रेबारी शब्द मूल रेवड शब्द मे से उतर कर आया है। रेवड़ यानि जो ढोर या पशु या गडर का टौला और पशुओ के टोले को रखता है उसे रेवाड़ी के नाम से पहचाना जाता हैं और बाद मे अपभ्रंश हो जाने से यह शब्द रेबारी हो गया। रेबारी पूरे भारत में फैले हुए है, विशेष करके उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में। वैसे तो पाकिस्तान मे भी अंदाजित 8000 रेबारी है।
देवासी समाज की उत्पत्ति dewasi samaj history origin देवासी-समाज इतिहास उत्पत्ति dewasisamaj.com

     रेबारी जाति का इतिहास बहुत पूराना है लेकिन शुरू से ही पशुपालन का मुख्य व्यवसाय और घुमंतू (भ्रमणीय) जीवन होने से कोई आधारभुत ऐतिहासिक ग्रंथ लिखा नहीं गया और अभी जो भी इतिहास मिल रहा है वो दंतकथाओ पर आधारित है।  मानव बस्ती से हमेशा दूर रहने से रेबारी समाज समय के साथ परिवर्तन नही ला सका है। अभी भी इस समाज में रीति-रिवाज, पोशाक ज्यों का त्यों रहा है। 21वीं सदी में शिक्षित समाज के संम्पर्क मे आने से शिक्षण लेने से सरकारी नौकरी, व्यापार, उद्योग, खेती वगैरह जरूर अपनाया है।
       हर जाति की उत्पत्ति के बारे में अलग अलग राय होती है वैसे ही इस जाति के बारे में भी कई मान्यताएँ है। इस जाति के बारे में एक पौराणीक दंतकथा प्रचलित है- कहा जाता है कि माता पार्वती एक दिन नदी के किनारे गीली मिट्टी से ऊँट जैसी आकृति बना रही थी तभी वहाँ भोलेनाथ भी आ गये। माँ पार्वती ने भगवान शिव से कहा- हे महाराज! क्यो न इस मिट्टी की मुर्ति को संजीवीत कर दे। भोलेनाथ ने उस मिट्टी की मुर्ति (ऊँट) को संजीवन कर दिया। माँ पार्वती ऊँट को जीवित देखकर अतिप्रसन्न हुई और भगवान शिव से कहा-हे महाराज! जिस प्रकार आप ने मिट्टी के ऊँट को जीवित प्राणी के रूप में बदला है, उसी प्रकार आप ऊँट की रखवाली करने के लिए एक मनुष्य को भी बनाकर दिखलाओ। आपको पता है उसी समय भगवान शिव ने अपनी नजर दोड़ायी सामने एक समला का पेड़ था। समला के पेड़ के छिलके से भगवान शिव ने एक मनुष्य को बनाया। समला के पेड से बना मनुष्य सामंड गौत्र(शाख) का रेबारी था। आज भी सामंड गौत्र रेबारी जाति में अग्रणीय है। रेबारी भगवान शिव का परम भगत था।
       शिवजी ने रेबारी को ऊँटो के टोलो के साथ भूलोक के लिए विदा किया। उनकी चार बेटी हुई, शिवजी ने उनके ब्याह राजपूत (क्षत्रीय) जाति के पुरुषो के साथ किए और उनकी संतती हुई वो हिमालय के नियम के बाहर हुई थी इस लिए वो “राहबारी” या “रेबारी” के नाम से जानी जाने लगी।
देवासी समाज की उत्पत्ति dewasi samaj history origin देवासी-समाज इतिहास उत्पत्ति dewasisamaj.com

    एक मान्यता के अनुसार मक्का- मदीना के इलाको मे मुहम्मद पैगम्बर साहब से पहले जो अराजकता फैली थी जिनके कारण मूर्ति पूजा का विरोध होने लगा। उसके परिणाम से इस जाति का अपना धर्म बचाना मुश्किल होने लगा। तब अपने देवी-देवताओं को पालखी मे लेकर  हिमालय के रास्ते से भारत में प्रवेश किया था। अभी भी कई रेबारी अपने देवी- देवताओं को मूर्तिरूप प्रस्थापित नहीं करते पालखी मे ही रखते है। उसमें हूण और शक का टौला भी शामिल था। रेबारी जाति में आज भी हूण अटक (Surname) है। इससे यह अनुमान लगाया जाता है की हुण इस रेबारी जाति मे मिल गये होंगे।
         एक ऐसा मत भी है की भगवान परशुराम ने पृथ्वी को 21 बार क्षत्रीय विहीन किया था तब 133 क्षत्रीयों ने परशुराम के डर से क्षत्रिय धर्म छोड़कर पशुपालन का काम स्वीकार लिया इसलिए वो विहोतर के नाम से जाने जाने लगे। विसोतर या विहोतर का अर्थ- (बीस + सौ + तेरह) मतलब विसोतर यानी 133 गौत्र।

      रेबारी जाति का मुख्य व्यवसाय पशुपालन होने के बाद भी महाभारत युग से मध्य राजपूत युग तक राजा महाराजाओं के गुप्त संदेश पहुँचाने का काम तथा  बहन-पुत्री और पुत्रवधुओं को लाने या छोडने जाने हेतु अति विश्वासपूर्वक रेबारी का उपयोग ही किया जाता था। ऐसी कई घटनाए इतिहास के पन्नो में दर्ज है।  पांडवो के पास कई लोग होने के पश्चात भी महाभारत के युद्ध के समय विराट नगरी के हस्तिनापुर एक रात मे सांढणी ऊँट पर साढे चार सौ मील (४५०मील ) की दूरी तय कर गाण्डीव धारी अर्जुन की पुत्रवधु उत्तरा को सही सलामत पहुँचाने वाला "रत्नो रेबारी" था।
 भाट, चारण और वहीवंचियों ग्रंथो के आधार पर मूल पुरुष को 16 लड़कियां हुई और उन 16 लड़कियों का ब्याह 16 क्षत्रिय कुल के पुरुषो साथ किया गया जो हिमालय के नियम के बाहर से थे सोलह के जो वंसज हुए वो "राहबारी" और बाद मे राहबारी का अपभ्रंश होने से "रेबारी" के नाम से पहचानने लगे। बाद मे सोलह की जो सन्तान हुई वो एक सौ तैतीस शाखा में बिखर गई जो विशोतर नात याने एक सौ बीस और तेरह से जानी गई। प्रथम यह जाति रेबारी से पहचानी गई लेकिन वो राजपुत्र या राजपूत होने से रायपुत्र के नाम से और रायपुत्र का अपभ्रंश होने से "रायका" के नाम से गायों का पालन करने से गोपालक के नाम से महाभारत के समय मे पाण्डवों का महत्वपूर्ण काम करने से "देसाई" के नाम से भी यह जाति पहचानी जाने लगी। पौराणिक बातो में  जो भी हो, किंतु इस जाति का मूल वतन एशिया मायनोर रहा होगा जहाँ से आर्य भारत भूमि मे आये थे। आर्यो का मुख्य व्यवसाय पशुपालन था और रेबारी का मुख्य व्यवसाय आज भी पशुपालन हैं इसलिए यह अनुमान लगाया जाता है की आर्यो के साथ यह जाती भारत में आयी होगी।
      जब भारत पर मुहम्मद गजनवी ने आक्रमण किया था तब उसका वीरता पूर्वक सामना करने वाले महाराजा हमीर देव का संदेश भारत के तमाम राजाओं को पहुँचाने वाला सांढणी सवार रेबारी ही तो था।
देवासी समाज की उत्पत्ति dewasi samaj history origin देवासी-समाज इतिहास उत्पत्ति dewasisamaj.com

      जूनागढ के इतिहासकार डॉ  शंभुप्रसाद देसाई ने नोंधट की है कि वे रावल का एक बलवान रेबारी हमीर मुस्लिमो के शासक के सामने खुशरो खां नाम धारण करके सूबा बना था जो बाद मे दिल्ली की गद्दी पर बैठ कर  सुलतान बना था। सन 1901 मे लिखा गया बोम्बे गेझेटियर मे लिखा है की रेबारीओं की शारीरिक मजबूती देख के लगता है की शायद वो पर्शियन वंश के भी हो सकते है और वो पर्शिया से भारत मे आये होंगे रेबारीओं मे एक आग नाम की शाख है और पर्शियन आग अग्नि के पूजक होते हैं।
Taken from- Surat Dewasi Samaj

तो दोस्तों आपको ये पोस्ट केसी लगी ये आप हमे कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। इस पोस्ट में हमने बहुत ही सावधानी बरती हैं फिर भी कोई गलती हो गयी है तो क्षमा करे।

और जुड़े रहिये वेबसाइट से।।

DewasiSamaj.com- देवासी समाज-Dewasi Samaj photos videos articles and NEWS

{DewasiSamaj.com---देवासी समाज की अपनी वेबसाइट}

धन्यवाद।।

देवासी-गान

Share:

Popular Posts

Sponsored

पुराने लेख

DewasiSamaj.com

नमस्ते...
यह वेबसाइट सभी देवासी, रबारी, रायका और देसाई समाज के फोटो, विडियो, मंदिर, होनहार प्रतिभाओ और समाज की न्यूज़ के लिए हैं

Namastey...
This website is for all Dewasi, Rabari, Rebari, Raika and Desai community's Photos, Videos, Temples, Talents and community NEWS.
thankyou.

Contact Form

Name

Email *

Message *

Copyright © देवासी समाज-Dewasi Samaj photos videos articles and NEWS | For more info Facebook Us | Designed by NBT